बाबा उगना स्थानक एकटा बहुत सुन्दर प्रसंग जे अय स्थान पर भेल अछी हम आहा सबके लेल लिख रहल छी इ कुनू कहानी नय एकता सत्य प्रसंग अछी.
एक्बेरक बात छी एखान जे वर्तमान में पंडा छैथ हुनक पिताजी छलखिन जिनक नाम छलैन स्वर्गिये लापिल जी, जिनका बाबा उग्रनाथ स सक्छात गप होय छलनी I हुनक बिचार भेलैन जे बाबा उग्रनाथ लंग त सब दिन रहिते छी एकबेर बाबा बैधनाथक दर्शन करवा लेल कँवर ल क जय, ओही क्रम में एकदिन संध्य काल गामक किछु गोते बाबा उगना के मंदीर प्रांगन में बैशल छला, बिचार बिमर्शक दौरान इ बिचार भेलय जे प्रातःकाल हम सब बैद्यनाथ धाम जा रहल छी अहू के चलबाक अच्छी ता चालू, ता कपिल पंडा जी सोचला जे हमहू हिनके सबहक संगे बाबा बैद्यनाथन के दर्शन क आबी ओ सेहो तैयार भ गेला और कहलखिन जे हम तईयार छी कईल्ह अहाँ सबहक संगे हमहूँ चलब और प्रातःकाल जेबक प्लान बनी गेल और सब अपना अपना घर चली गेला तईयारी कबक लेल, कपिल जी सेहो अपन एकता काँवर के ब्यबस्था केला और ओकरा सूतरी सा बंधी छेकि का रखला, जे भोरे अन्हारे जेबाक बिचार भेल छल, और राइत के खान खा क सुइत गेला I भोर भोरे सब गोते अबी गेल्खिन हाउ कपिल चलने देर होइछअ सब गोते आबाज लगबअ लगलाह कपिल जी बहाल निकलला, जा तू त एखन धरि तयियारो नै भेला हाँ अबेर भ गेलअ ओमहर सा कियो कहलखिन, कपिल जी कहलखिन “हम नै जायब” सब बाड चकित भेला, किये हउ की बात साँझ में त तू तयियार छलअ अ रतिए भरी में की भ गेलअ, कपिल जी हाँसिते बजला “हम नै जयब हमरा राइत में बूढबा कहलक जे तू क त जाइ छें ओ बैद्यनाथ के छाई और हम के छियय” हम बुढबा के छोरिके नै जा सकित छी अहाँ सब जाऊ I
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